Monday 23 February 2015

' श्रम '

पता है !
उन जरदोजी वर्क से सजी फेब्रिक
सिल्क के ताने-बानों से बने थानों
सलमे-सितारे से बनी फूल -पत्तियों के पीछे का सच !!
किशोर - किशोरियों के मुस्तैद हाथों का कमाल है ये
सीलन भरी कोठरियों में लिखी गयी रुबाइयाँ हैं ये
रासायनिक रंगों से खाँसती साँसों और
बीमार चमड़ियों से
लिए गए रंग हैं ये
दिवास्वप्न देखने वाले नेत्रों के
ख़्वाब हैं ये ; जो उकेरे गए हैं कपड़ों में
'डिजानर ' के नाम का टैग लगते ही
वे मेहनतकश भुला दिए जाते है
' पहनने वालों ' द्वारा
बस याद रहता है -
बड़े शो रूम और रैम्प पर जलवे बिखेरने वाले मौडल या फिर
वो जाना -माना डिजाइनर

 

No comments:

Post a Comment