Tuesday 24 February 2015

' तुम '

याद है तुम्हें !
वो पिछली सर्दी की तस्वीर !!
मेरे हाथ में था नया मोबाइल ,
तुम पढ़ रही थी पेपर
और मैने थमाया था
तुम्हारे हाथ में ग्रीन टी का कप,
'चलो ! एक फोटो हो जाय '
बोला था मै
अपने चश्मे के पीछे से
गहरे काजल से सजी बोलती आँखों से
मुस्कुराई थी तुम
कुछ - कुछ जैसे कहा हो तुमने 'हुँह !! '
'जाओ ! पहले जरा अपने बाल सही कर लो
और अभी तक नहाये भी नहीं हो ;
पगलू जैसे दिख रहे हो :)) ',
'और तुम !! तुम अपने बाल देखो
मेंहदी लगाने लगी हो आजकल,
मै तो नेचुरल रहता हूँ ,
वो अलग बात है तुम अपने लंबे बालों को
पता नहीं कैसे करती हो मेनटेन अब तक !!'
ये कहते हुए चेयर पर बैठ गया था मैं
'मत खिंचाओ पिक ',
यह बुदबुदाते हुए ..कुछ मुँह बनाकर
अरे !
अचानक से गलबहियाँ डाल आ खड़ी हुई थी तुम ,
मेरे पीछे ,
अखबार को जल्दी से फेंक , गर्म चाय का कप छोड़कर ,
क्लिक ! क्लिक !
खींच ली थी मैंने दो पिक ,
इस भरी गर्मी में लगायी है आज ;
अपनी वाल पर
फिर से कहना है मुझे ;
तुम्हारा 'प्रेम '
सर्दी में ऊष्मा देता है मुझे
और
और गर्मी में
असीम ठंडक

:) :) 

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