Tuesday 24 February 2015

अपनी जन्मस्थली --
:))
जहाँ छोड़ आयी नन्हें पैरों के निशान , घी - चीनी की मोटी लेयर लगी माँ के हाथ की बनी रोटी , आलू के गुटके और लेयर वाले पराँठे , कैना के कुछ पेड़ , खुबानी के पेड़ में हरे -हरे कीड़े , काफल के पेड़ का सलेटी रंग का जोगिया रंग के मुँह वाला बालों से ढका एक मोटा कीड़ा , सुकुमार सुमित्रानंदन जी का पत्थर वाला छोटा घर , हिमालय पर उगता और हिमालय पर ही अस्त होता एक लाल गोला , चिड़ियों का झुंड और कल्लोल , पतली साफ़-सुथरी सड़कें , चीड़ और ओक के साधनारत वृक्ष , गुलाबी गालों वाली सहेलियां और लाल गाल वाले बच्चे, भाई के साथ फ़ुटबाल पर जमाए गए कुछ शाट्स , गिल्ली-डंडे पर दगाबजियाँ , कच्चे दूध का फेस-वाश , अधिक नीला एक अम्बर ,बड़े तारों वाली रात्रि , गालों पर आँसुओं के सूखे बसंत-धारे , चिंतामुक्त निश्छल हँसी ........
सुन ! बचपन ; शायद इस बार तुझसे मिलने आऊं ...
आमीन !
[ कौसानी से सूर्योदय ]

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