Wednesday 6 August 2014

हाय ! गर्मी

' आक् - आक्...दो उल्टियां ..ओह ! ', नई दुल्हन भागकर वाश -बेसिन तक जाती है |
ससुर जी हर्षित हैं और देवर चुपके -चुपके मुस्कुरा रहे हैं ...मार्च का अंतिम सप्ताह है , सोचते हैं बहू/ भाभी के लगता है ... पैर भारी हैं ...आमतौर पर ऐसे ही तो होता है नयी -नवेली दुल्हन का हाजमा खराब हुआ नहीं कि घर -भर में हर्ष की लहर दौड़ जाती है |
' 'मनिका को तुरंत डॉ. को दिखाओ ! '', तुरंत बेटे को ऑर्डर दिया जाता है |...............
पर वो दूर के रिश्ते की भाभी बड़ी ही सयानी निकली -
''अरे पहाड़ की लड़की है ...इतनी गर्मी की आदत कहाँ उसे !! अभी से देखो पीली पड़ गयी है ...हाय ! कहीं जोंडिस तो नहीं !! ...कोई खुशखबरी-वबरी नहीं है '' ,
'' लड़की ! देखती जा ; अभी कितनी गर्मी होती है यहाँ '' |
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'दूल्हा ' आगरे , इलाहाबाद , राजस्थान या दिल्ली का हो तो जरा सोच-समझकर करना लड़कियों ! विवाह :))
[ हिल स्टेशन की लड़कियों को खास हिदायतें ]