Wednesday 9 July 2014

लघुकथा - मुद्दतों बाद

' सुनो ! तुम मिले भी हो तो कितने सालों बाद !! ......तुम दो बेटों के पापा हो और मैं भी दो बच्चों की माँ ' , ............कहना चाहती थी ये सब जेसिका उस लड़के [ दो बच्चों के पापा ] से...
कैसे कहूँ !! 
सोचती रही ...फिर कह ही दिया - ' मैंने तुम्हारा इन्तजार किया था ..शायद पाँच- छ: साल तक ', 
सुनकर बोला वह ' लड़का ' - ' तब बोलना चाहिए था ना ! तब तो कभी कहा नहीं तुमने कुछ ! ', 
' हम्म ! ' कैसे कहती !! मुझे भी तो पता नहीं था कि तुम्हारे मन में क्या है ...', एक दबी सी मुस्कराहट के साथ फिर कहा लड़की ने - ' वैसे हमको एक दूसरे के बारे में भी अपने ही दोस्तों से पता चला था ना कि हम एक दूसरे को पसंद करते हैं ; तुमने कौन सा कुछ कहा था !! ', ' इडियट कहीं के ', इडियट ! मन ही मन बुदबुदाई थी वह .....
लड़का मुकुराया था - ' थोड़ी पागल हो तुम ... फिर से स्कूल जाने का इरादा है क्या !! ', 
समझदार था लड़का , सब कुछ हँसी में टाल गया ...........अब क्या हो सकता था भला !!