Sunday 15 March 2015

नहीं लिख सकती

नहीं
नहीं लिख सकती एक कटु अध्याय
जिसे  मैंने  जिया ना हो
नहीं लिख सकती
बलात्कार के संदर्भ में
ये किसी और के साथ हुआ है
 मेरे साथ नहीं
उन एसिड फैंकने वालों से मुझे क्या लेना देना
मैं तो साबुत बची हूँ अभी तक
अपाहिजों से भी नहीं है मुझे सहानुभूति
जबकि मैं नहीं जानती
दूसरे ही पल क्या गुजरने वाला है यहाँ
उन निर्धनों से प्यार क्यों करूँ मैं भला
इस जिंदगी में बसर करने लायक सब कुछ है मेरे पास
फुटपाथों के कंगाल
छी मत ही करो उनकी बातें
मुझे कोई दुःख नहीं जानना है उनका
आत्महत्या करते किसानों के कर्ज की
मत सुनाओ कहानी मुझे
मैंने जमा कर लिए हैं असीमित भण्डार
राजनीति मुझे समझ नहीं आती
जबकि  इसी देश की नागरिक हूँ मैं
आई टी कंपनियों से कुछ सरोकार नहीं है मुझे
जबकि कहीं ना कहीं इनसे  जुडी हूँ मैं
अपने देश की भौगोलिक स्थिति से
रहती हूँ अनजान
मुझे कौन सा करना है शोध
कन्या भ्रूण हत्या
 कौन  नया विषय है ये
सदियों से होता आया है ये तो
चुप ही रहना बेहतर है इसके बारे में
समाज के उन अलग -थलग पड़े लोगों के बारे में
क्यों सोचूं मैं भला
सरकार लेगी उनकी जिम्मेदारी
अपने  अंदर के ' मैं'   को बचाए रहने की
कोशिशों में
अंतर्मन में हो रही उथल-पुथल को अनदेखा कर देती हूँ मैं .....

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DrKavita Vachaknavee, Anuradha Singh and 15 others like th

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