Sunday, 15 March 2015

गर्मी और बरात

चम्पूजी की बारात है ...एयरकंडीशंड बारातघर ,होटल , रिजोर्ट हैं |
चम्पू को घोड़े से जाना था ....अब कैसे जाय ...गर्म गद्द्दी , ऊपर छत्र और फिर बचपन और गले पड़े दोस्तों की पूरी जमात ; सब चम्पू को घेर के खड़े हैं और फिर सेहरा ,मुकुट , मालाएं ....चम्पू पसीने -पसीने ! टोनर सारा धुल गया ...डियो उड़ गया ..उसपर दोस्त हैं कि उसे नचाने पर तुले हैं ..
'' चम्पू ! नाच ले आज , कल से भाभी नचायेगी तुझे '', हम्म गोया भाभी ना हुई 'फराह खान ' हो गयी
हाय ! घर से माँ , ताई , चाची , बहनों और भाभी के हाथों सजा चम्पू अब पूरा 'जोकर ' दिख रहा है |
' लाडो /दुल्हन ' एक अलग कूल कमरे में है ..सहेलियों से घिरी ..मेकअप रीटच होता रहा है .....
' बन्नो की आयेगी बारात .....'
हे भगवान ! गर्मी की बारात और हम बाराती ....
नाह ! अपुन सीधे रिजोर्ट पहुंचेगा ...तुम ही नाचो मित्रों :))
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