Tuesday 28 February 2012

आज दर्द कुछ कम हुआ

     आज दुबारा वही दृश्य है , सड़क के दोनों ओर कड़ी  - करारी  ताजी कटी गिट्टियां पड़ी हैं |  कई मजदूरों के साथ पूरा - का पूरा कुनबा   तत्परता से कार्य कर रहा है  , छोटी लड़कियों ने सड़क किनारे ही  रसोई के  पतीले संभाल रक्खे हैं , देखती हूँ साथ में एक ६-७ महीने का नन्हा बच्चा उन गिट्टियों में घुटने के बल चलता - गिरता जा रहा .......|
                हुआ यों कि कई महीने पहले मुझे कंकरीली सड़क पर एक माँ और उसका छोटा बच्चा दिखा , बच्चा घुटने के बल चलता जा रहा था और माँ खाली हाथ उसके पीछे जा रही थी , यह देखकर मुझे मन ही मन उस माँ पर गुस्सा आ रहा था  ..कैसी माँ है बच्चे को गोद में  तो ले लेती  .........पर अचानक   मैं अतीत में चली गयी ......................|                                                               
                             ' ऐय बहूरानी जी  !  आप ही माँ नहीं ना बनी हैं  इस संसार में अनोखी , बच्चन को जमीन पर   नाहीं  धरा जायेगा तो       कईसे   ताकत आवेगी सरीर  मा !!     , ..... मेरी मुंहलगी मेड ' मीनू  की अम्मा'  ने बड़े अधिकारपूर्वक मुझे उलाहना दिया ;  और मैं मुस्कुराकर रह गयी ..| वो मुझे समझाती ही रह गयी ....|
       असल में बेटे की पैदाइश गर्मी की है और भयंकर ठण्ड   कोहरे वाले  दिसम्बर  में  १५ के बाद जब उसने घुटने के बल चलना शुरू किया , मैं उसे बिलकुल भी फर्श पर नहीं छोड़ती  थी ..कहीं उसके  घुटने छिल गए, ...  कहीं उसे ठंड लग गयी तो !!  ..... ..     बेड या दीवान पर ही वह घुटने के बल थोड़ा सा चलता ...|  एक दिन  जब मैं किचन  में थी , मुझे   अंदर  से जोर से  किलकारियों की ध्वनि  सुनाई दे  रही थी ; ...मैं  दौड़ते हुए गयी  ........देखती हूँ ... मीनू ने  उसे फर्श पर छोड़ा है  और वह पूरे घर में घुटने के बल दौड़ लगा रहा है और बहुत खुश है ...........; यह देखकर मैं भावविभोर हो उठी ....मेरा सारा डर - चिंता  दूर हो गयी थी ,...कितनी नादान ,  नयी- नयी    और अनाड़ी माँ थी मैं !!   जो  अब तक अनजाने में स्वयं को इस खुशी से दूर रखे हुए थी |
          महीनों पुराने दृश्य की आज पुनरावृति हो रही थी ,तब सड़क कंकरीली थी; आज तीखी गिट्टियां हैं ....बच्चा भी उतना ही छोटा है , .. माँ  कार्य कर रही थी पर बच्चे की घुटने की बल चलने की कोशिशें जारी थी ..............मुझे दर्द पहले से कहीं कम हुआ बच्चे की कोशिशें देख मैं अंदर ही अंदर खुश थी , तीन दृश्य साथ-साथ चल रहे थे ....|



नोट - इलाहाबाद में घर की मालकिन को ' मेमसाहब ' या मैडम जी बोलने का रिवाज नहीं है , यहाँ पर आदरपूर्वक उन्हें ' बहूजी '   या 'बहूरानी जी  ' बोला जाता है |
बच्चा - छोटा बच्चा 
बच्चन - बच्चे 

6 comments:

  1. kya bat hai...!!!!!! aapka blog pahli bar dekha ....bhadhayi....

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  2. wahhhh kya bat hai dil ko chu jane vali bat..

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  3. बेहतरीन और अदभुत अभिवयक्ति....

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