Thursday 9 February 2012

अभिलाषा

 मनीष मल्होत्रा
सब्यसांची
भानु अथैया या
अबू- जानी
इन सबसे नहीं
बल्कि
किसी कुमाऊंनी से कराएगा
कुमाऊं का सबसे आकर्षक
' राजकुमार मालूशाही '
अपने कपड़ों की डिजायनिंग
साथ  ही  'राजुला' की भी
'राजुला ' जो है उसकी प्रेमिका
जो एक सामान्य व्यापारी की है पुत्री
राजुला जिसका रंग है जैसे
दूध में घुला हो  देशी गुलाब
छोटी पर सुडौल नासिका
छरहरी काया
जिस पर  अभी -अभी
यौवन ने दस्तक दी है
काजल से भी अधिक काले
लेकिन सीधे  लंबे बाल
चमकीली पनीली काली आँखे
स्निग्ध बच्चोँ सी त्वचा
बीच की मांग निकालकर
बाल बनाने से उसका गोल मुँह
जैसे लगने लगा है और भी गोल
उसके लिए सोचा है कुमाऊँ की डिजायनर ने
गुलाबी छींट और हरे - पीले फूलों वाला
अति-घेरदार घाघरा
एक सामान्य श्वेत पतली लेस लगी है
जिस पर बार्डर से  ठीक एक बालिश्त ऊपर
 भूरे मैना के पीले पैर के रंग जैसी
 कमर तक की कुर्ती जिसके कालर मे है फ्रिल
उसके ऊपर  पहनेगी वह
 बिलकुल डार्क गुलाबी  नन्ही  चुस्त  वास्कट
और चुनरी या पिछौड़ा है  सामान्य सूती  बसंती रंग का
पैरों मे भेड़ के उन की बुनी जूतियाँ पहनानी है उसे
     और गहने !!
गहनों के लिए दूसरी सिटिंग मे बात करती हूँ उससे
पर जहाँ तक हो  गहने केवल चाँदी के होंगे
जिनका लुक भारी चाँदी के गहनों सा होगा
तब तक बिना गहनों के ही साधारण कपड़ों में भी
 दिख रही है राजुला एकदम ' बर्फ वाली परी' .........
राजकुमार के लिए एक सुनहरे धूल की रंग की चुनी है शेरवानी
जिस पर है 'लखनऊ के कारीगरों 'ने
कढ़ाई की है ' जरदोजी' की
गहरे धूल के ही रंग का  है  रेशमी  चूडीदार पायजामा
लंबे कद और गेहूं के रंग वाले छरहरे राजकुमार पर ये
खूब जमेंगे
बस एक गहरे लाल गुड़हल के पुष्प की रंगत का उत्तरीय
गले पर लापरवाही से झूलेगा
कमर पर लटकी नक्काशी के केस वाली तलवार भी है
जिसका मूंठ दूर से ही चमक बिखेरेगा
घनी मूंछों वाले आकर्षक
मुखमंडल के स्वामी के
उन्नत मस्तक  पर
अंगूठे से ऊपर की लय में
 तिलक लगाया जाना
बाकी है
जो ठेठ कुमाऊंनी  'पिट्ठयां ' से लगेगा
जिस पर बहुत सारे अक्षत  जड़े  होंगे
 ' देहरादून  की बासमती चावल' के
'मालूशाही ' के बाल है कुछ -कुछ घुंघराले
कन्धों का स्पर्श करते प्रतीत होते हैं
जो काढ़े  गए हैं ऊपर की ओर
  शालीन और सौम्य बना रहे हैं उसे
उसके मजबूत पैरों के लिए
  ' राजस्थानी  मोजड़ी' मंगवायी है जिनपर
लाल रेशमी और जरी से कढ़ाई है
साफा और  बाकी जेवरात  वह  स्वयं तय करेगा
अभी   उसके कानों मे कुंडल हैं जिन्हें उसने
कर्णछेदन संस्कार और यज्ञोपवीत संस्कार के साथ
धारण किया था
तब तक दर्पण मे निहार रहा है राजकुमार स्वयं को ..............

- कुमाऊंनी डिजायनर

16 comments:

  1. बहुत बढ़िया ,.........

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  2. Replies
    1. धन्यवाद , सखियों :))))

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  3. बहुत सुंदर !!!

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  4. सुन्दर शब्दकारी के सजे इस राजकुमार को सच में जीवंत देखने की इच्छा लालायित हो उठी है ....बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने प्रतिभा जी

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  5. बेहतरीन . शायद इससे बढिया डिजायनिंग संभव नहीं.

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  6. धन्यवाद प्रिय मित्रों .....:)
    - प्रतिभा

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  7. धन्यवाद विकी ......

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  8. धन्यवाद मित्रों .....

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  9. बढ़िया कारीगरी की अभिव्यक्ति है ...

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  10. धन्यवाद ! हेमा :)

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