Wednesday, 8 February 2012

स्वीट ड्रीम्स

अभी -अभी एफ बी से उठी हैं  वो
साढ़े दस ही तो हुआ है अभी
मैगजीन देखती हैं
उंहू पढ़ने मे मन नहीं लग रहा
अभी थोड़ी देर पहले उसने
एफ बी के मित्रों की
 सारी पोस्ट पढ़ डाली हैं
टीवी देखूं
नहीं ..कोई सीरियल नहीं देखना है उनको
कसौटी जिंदगी के अनुराग बासु
मिस्टर बजाज और मिसेज बजाज तक
प्रतिज्ञा से लेकर इच्छा तक
अच्छे सीरियल का अंत
कर देते  हैं कितना उबाऊ
सभी सखियों ने उसे अभी
  बोला है स्वीट ड्रीम्स
निंद्रा  माम  हैं कि
आने का नाम नहीं ले रही
कुशन टिका गर्दन घुमा रही हैं वो
अचानक से कहीं अतीत का
एक टीवी सीरियल चल पड़ा है
कहानियां ही कहानियों वाला
सुदूर  ढालू  छत वाला घर
 घर मे कई कमरे
पर कहानी की आवाज
माता - पिता के कमरे से आ रही है
अरे ये कहानी  तो रानी सुनीति सुरुचि और उत्तानपाद की है
 ओहो इस कहानी का कबाड़ा नहीं होने वाला है
 ये कहानी का अंत उन्हें पता है
 बैड पर  पिताजी सुना रहे हैं कहानी
दो कहानी सुनाने के बाद
 शायद तीसरी कहानी है
जो सुनाई जा रही है
छोटे  बच्चे को
माँ दूध के जग मे बोर्नविटा  डाल
सब  गिलासों  दूध  डाल रही हैं
वो  भी इस सोफे से
चुपके से आ बैठती है नमदे पर
लाल चटाई के ऊपर बिछा है
कश्मीरी कढ़ाई का नमदा
अपने हाथ -पैरों पर ग्लिसरीन लगाती
  गर्म अंगीठी के पास
कहानी ध्रुव की अटल प्रतिज्ञा पर
 समाप्त हो  तारा बन गयी है
और वो वापस है फिर सोफे पर
हाथों मे  है  कोल्ड क्रीम
अब उनकी आँखों में हैं  नींद के झोंके
बढ़ चले हैं  पैर
 शयनकक्ष की ओर ....


3 comments:

  1. आँखों में जब निन्नी आये ढेरों मीठे सपने लाये .......

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