Friday, 28 June 2013

बचपन

 कितने बौने थे !
'आप ' और 'तुम ' के
 संबोधन
उसके 'तू ' कहने भर से ही
गिर पड़े
'बचपन' फिर जीत गया
..





16 comments:

  1. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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    1. धन्यवाद ! सुषमा ........

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  2. बहुत खूब, लाजबाब !

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  3. धन्यवाद ! संजय जी ........

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  4. अपनापन अच्छा लगता है ..

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  5. पहले आप,आप से तुम , फिर तुम से तू का समां हो गये .............उम्दा

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  6. बचपन जीत गया....बचपना जी गया...
    :-)

    अनु

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  7. धन्यवाद ! स्नेही मित्रों .......

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  8. बहुत ही सुन्दर भाव. बधाई.

    रूपसिंह चन्देल

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  9. bahut kam shabdon mein sundar abhivyakti

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  10. आभार ! सभी आदरणीय ,स्नेही मित्रों का ...

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  11. बहुत ही सुन्दर

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  12. धन्यवाद ! आशुतोष जी .....

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  13. ☆★☆★☆

    'बचपन' फिर जीत गया
    वाह !
    बच्चे छद्म औपचारिकताओं से परे होते हैं...

    आदरणीया प्रतिभा जी
    बहुत सुंदर रचना है !


    हार्दिक मंगलकामनाएं !
    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  15. धन्यवाद ! आप सभी का ....

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