Sunday, 15 December 2013

मासूम या लाटे [ सूक्ष्म कथा ]

' पगली ! मुझे  'लाटा  ' कहती हो तुम  ..सच तो यह है कि तुम भी 'गूंगी ' थी , अपनी बड़े नेत्रों से समय को जाते हुए देखती रही .....चलो एक बात तो अच्छी है ;  इतने लंबे अंतराल के बाद अभी भी हम दोनों की  याददाश्त ठीक है ;
क्यों !! .... है ना :)

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