कब लिखी तुमने
कोई कविता
जब करुणा में द्रवित थे तुम
या थे तुम प्रेम में
या थी मैं विप्रलब्धा
और वियोगी से तुम
न मुझे याद है
ना ही तुम्हें
क्या दोनों प्रेम में थे
मैं तुमसे पूछती हूँ ' प्रेम '
कोई कविता
जब करुणा में द्रवित थे तुम
या थे तुम प्रेम में
या थी मैं विप्रलब्धा
और वियोगी से तुम
न मुझे याद है
ना ही तुम्हें
क्या दोनों प्रेम में थे
मैं तुमसे पूछती हूँ ' प्रेम '
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteधन्यवाद ! सुषमा ..........
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
ReplyDeleteसुबह सुबह मन प्रसन्न हुआ रचना पढ़कर !
धन्यवाद ! भास्कर जी ......
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteकाफी समय हो गया... नयी पोस्ट कब ?
नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
धन्यवाद ! प्रसन्ना जी ...
ReplyDeleteअपनी वाल पर कुछ कच्चा -पक्का लिखती रहती हूँ ..|