मत कहो मुझे ' श्रद्धा '
मत कहो मुझे
' आँचल में ढूध और आँखों में पानी ' वाली स्त्री
मत कहो मुझे ' पराया धन '
मत कहो मुझे
'दाल-मंडी ',' सोनागाछी ' और 'कमाठीपुरा' की वेश्या
मत दो मुझे 'धरती ' जैसी उपमा
मत नवाजो मुझे
मेरे जन्मजात गुणों की 'विशिष्टताओं ' से
कितना अच्छा हो
यदि तुम मुझे समझो
एक ' इंसान '
स्त्री होने से पहले ....
मत कहो मुझे
' आँचल में ढूध और आँखों में पानी ' वाली स्त्री
मत कहो मुझे ' पराया धन '
मत कहो मुझे
'दाल-मंडी ',' सोनागाछी ' और 'कमाठीपुरा' की वेश्या
मत दो मुझे 'धरती ' जैसी उपमा
मत नवाजो मुझे
मेरे जन्मजात गुणों की 'विशिष्टताओं ' से
कितना अच्छा हो
यदि तुम मुझे समझो
एक ' इंसान '
स्त्री होने से पहले ....
bahut khub
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ! रमा जी ......
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