Friday, 27 July 2012

कितनी क्रिएटिव हो गयी हूँ मैं फेसबुक में आकर .......एक कुमाऊंनी कविता :))

ओ ! ईजा मी कतु क्रिएटिव है गयु
मील बने  हाली ग्रुप चार
जके मन आ एड कर दिन्युं
फोटो ले खींच दिन्युं दुई चार
मैं कतु क्रिएटिव है गयुं

रोज एक नोट लिख्ननियुं
आपण रचना में सबुके टैग कर दिन्युं
उनरी वाल हैक कर दिन्युं
ओ ! ईजा मैं कतु क्रिएटिव है गयुं

पैली दिभर आराम कर छी
अब चिंतन - मनन कर नियुं
बौद्धिक वर्ग कै मित्र बने बेर
मी कतु बुद्धिमान है गयुं

मेड ले मेरी खुश हरे
मेमसैप कमप्यूटर में घुस रे
मनमौजी काम करण लाग रे
मी ले वैक लापरवाही इग्नोर कर नियु
ओ! ईजा मी कतु क्रिएटिव है गयुं
 
फ़ालतू चैटिंग मीके भल नी लागन
चुपचाप ऑफलाइन है बेर
सबकी वाल मे नजर धर नियुं
आपुके एलीट दिखिनियुं
ओ ! ईजा मैं कतु क्रिएटिव है गयुं

आपण पुराण शौक रिवाइव कर नियुं
साड़ी पेरण भूल गेछी
अब फिर साड़ी पैरनियुं
सबुके प्रोफाइल पिक बदलणक
बिमारी लगैनियुं
ओ! ईजा मी कतु क्रिएटिव है गयुं

कुमाऊंनी बलाण में पैली  कतु अटकछी मैं
' लोहनी ज्यूक ' कृपा ले अब कविता
लिखण कोशिश कर नियुं
अब तो मिके चश्म ले लाग गो
मी कतु  इन्टेलैक्चुवल दिखिनियुं
ओ! ईजा मै कतु क्रिएटिव है गयुं

-- मूल कविता ' फेसबुकी गयुं ' लोहनी जी की लिखी हुई है , उसी से प्रेरित होकर  मैंने  यह कविता लिखने की कोशिश की है ...' श्री भारत लोहनी जी का आभार ||

6 comments:

  1. ओरी क्रियेटिव हगाहा तुम भोतो बड़ी लागी रो लागी रो।

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    1. धन्यवाद छू , गोविन्द जी

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  2. धन्यवाद छू हो सबुक ,
    :)))

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