अलकनंदा
Wednesday, 20 June 2012
शब्द तुम्हारे
मिथ्या मित्र
मिथ्या शब्द
मिथ्या ये दुनियां
फिर क्यों चले आते हो
जब - तब इस दुनियां में
झूठ कहा था तुमने
सच तो ये है
कहीं ना कहीं
सच हैं
झूठ में जीती ये दुनियां ....
1 comment:
babanpandey
25 June 2012 at 05:21
सत्य तो केवल मृत्यु है .... सुंदर ...ब्लॉग पर आने के लिए आपका आभार
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