तरंगे
अनुपस्थितियों के बीच भी
तुम्हारे होने के
सच के हस्ताक्षर
मौजूद रहते हैं
तुम्हारे ना होने का
कारण बनकर
मस्तिष्क की तरंगे
तुम तक पहुंचा आती हैं
सन्देश अनेक
और दूसरे ही दिन
बिन कहे ही तुम्हारी
उपस्थिति दर्ज
हो जाती है