दुर्गुली सीख रही है
तीर को निशाने पर
लगाने के गुर
ललिता ने उडाएं हैं
कागज़ के जहाज
बनना है उसे पायलेट
नैना ने
डलवा दिया है
आँगन में नेट
बनना है उसे
अगली साइना
कात्यायनी ने
थाम ली है
पिता की बंदूक
आर्मी की लगन है उसे
पार्वती ने
मना कर दिया है
बर्तन मांजने से
फ़ालतू घूमते
भाई से मंजवा लो बर्तन
माँ को दिया है मशवरा
उसे पढ़ना है
पायथागोरस और आर्किमिडीज
सरस्वती ने अभी -अभी
रची हैं नयी कविता
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उस पाँच साल की
गौरी की माँ ने भी
लिया है नया फैसला
कन्यापूजन में भेजने
के बजाय वह भेजेगी
बेटी को
कल से कराटे
की कक्षा में .............
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