मेरे तरल बोल
या
हँसी के मीठे बताशे
कुछ अनकहे संवाद
जो उँगलियों में समा
शब्द बन
तुम तक
न पहुँच सके
एक अबूझ
कविता बन
संचित हैं
ह्रदय पटल पर
या
हँसी के मीठे बताशे
कुछ अनकहे संवाद
जो उँगलियों में समा
शब्द बन
तुम तक
न पहुँच सके
एक अबूझ
कविता बन
संचित हैं
ह्रदय पटल पर