Tuesday, 31 January 2012

उदास शाम
उनका इन्तजार
खट-पटाते
 उलझे पीत  शब्द
अनमने बीमार

[ जापानी कविता ' तांका ' पर आधारित ]

Wednesday, 4 January 2012


हाइकु

घिरते मेघ
मुकुट श्वेत पर 
मुग्ध ह्रदय 
       *
स्वप्न शेष 
रहा स्मृति बन यूँ 
हर्षित मन 



Monday, 2 January 2012

हाइकु

शिखर तुम
वीरान लगते हो
बरफ बिन
     *
गजरे में हो
महक बने तुम
अर्थी में आंसू
      *
तुम आलोचक बन
'जिंदगी' नाम के
 मेरे इस चलचित्र की
 देना आलोचना
मध्यांतर से पहले और
मध्यांतर के
बाद की कहानी में
मेरा अभिनय ,
मेरी संवाद अदायगी
कितनी खरी उतरी हूँ में
तुम्हारे तीनों नेत्रों
निर्देशन में ' भगवन्'.......